नदियों में बाढ आने के कुछ खास कारण जो हमने पैदा किए हैं तथा उन को रोका जा सकता है।(And we can stop the commission /chorbajari of some leaders and Officers during floods period in the rivers
अखबारो में अक्सर पढ़ने के लिए मिल रहा है कि हर जगह नदियां
में बाढ आ रही है तथा गांव के साथ -साथ हमारे शहर भी डूब रहे हैं। जान माल
का भारी नुकसान देश को उठाना पड़ रहा
है।
टेलीविजन पर यह भी बताया जा रहा है कि जो सहायता बाढ पीडितों को पहूचनी चाहिए, वह सहायता उनके पास नहीं पहुंच रही है। तथा कुछ नेता व प्रशासनिक अधिकारी कहते फिर रहे हैं कि हमने तो जो भी सहायता फंड आया है उसका सही प्रयोग किया है। तथा बाढ पीडितों को सहायता दी है।
इन सब बातों से पता चलता है कि हमारे कुछ नेता व प्रशासनिक अधिकारी केवल लूटपाट में लगे हुए हैं।
नदियों में बाढ आने के कुछ खास कारण यह भी है
1:--- हमारे अधिकारी मौसम विभाग के अधिकारियों कि सूचना पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। तथा अपने हिसाब से डैम में पानी जमा कर रहे हैं। तथा भर जाने पर डैम के गेट्स खोल देते हैं।मानसून के बीच समय में नदियों में पानी पहले से ही पुरा भर कर चल रहा होता है उपर से डैम का पानी भी नदियों में आ जाता है तो नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती है।
हमारे अधिकारीयों व नेताओं को मेरी बात ठीक लगे तो समझ लें वरना कोई बात नहीं :-----
हमें (डैम अधिकारियों को) मौसम विभाग के अधिकारियों से मानसून के आने व उसके जोर पकड़ने के समय की पूरी जानकारी होनी चाहिए। तथा उस जानकारी के अनुसार ही डेम में पानी उपर तक भरना चाहिए। पहले तो हमें मानसून से पहले डैम में पानी का लेवल काफी कम रखना होगा वो भी इस लिए ताकि बिजली ⚡ का उत्पादन होता रहे। तथा इस लेवल से उपर का पानी नदी में जाने दे। डेम में पानी का ये लेवल हमें कम से कम 15 से 20 जुलाई तक रखना चाहिए।इस से नदियों में जो पानी चल रहा होगा तथा उस में डैम का कुछ पानी आ जाने से, हमरी नदियां खतरे का निशान पार नहीं कर सकती है।
अब फिर 15 या 20 जुलाई को डैम के सारे गेट्स बंद कर देने चाहिए तथा डेम को उपर तक भरने के लिए छोड़ देंना चाहिए।
अब जब की 20 जुलाई के आसपास पुरवी उत्तर प्रदेश, बिहार, मघये परदेश व पंजाब में मानसून के जोर पकड़ने पर जो पानी नदियों में टोप लेवल से नीचे चलता रहता है वह खतरे के निशान को पार नहीं कर सकता है क्योंकि 15 जुलाई से डैम के गेट्स, डैम में पानी भरने के लिए बंद कर दिया जाएगे। तब तो डैम से कोई पानी नदियों में छोडा नहीं जायेगा।
इस से नदियों में बाढ का खतरा भी नहीं रहेगा तथा जान माल का भारी नुकसान देश को नहीं उठना पडेगा।
पर देश के कुछ कमिशन खोर व भ्रष्ट अधिकारियों व नेताओं को भारी नुकसान हो सकता है।
2:-----हमारे अधिकारीयों व नेताओं ने नदियों के उपर हजारो पुल बनवा दिया है, जो कि जनसंख्या को व ट्रैफिक को देखते हुए बनाने भी चाहिए थे।
परंतु हमारे अधिकारीयों की छोटी सोच की तरह ही, उन्होंने पूलो की लम्बाई पर ध्यान नहीं दिया या फिर नेताओं ने कम फंड दिया तो कम लम्बे पुल बना दिये। इस से नदियों में पानी पुलो के पास अवरुद्ध हो जाता है तथा पुलो के पीछे पानी का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है तथा अधिकतर खतरे के निशान को पार कर जाता है तथा यही पानी का लेवल नदियों को कहीं कहीं तो मिलो चोडा कर देते हैं तथा पानी अासपास के गांवो व शहरों के निचले हिस्सो में भर जाता है । जिस से जान माल का भारी नुकसान हो रहा है। पानी जो पुलो के पास अवरुद्ध हो जाता है उस पर कडे फैसले लेने की जरूरत है ताकि नदियों के पुलो को चोडा किया जा सके।
उधारण के लिए :----
दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में चोडी सड़कों पर जब ट्रेफिक भर कर चार या पांच लाइनों में चलता है तो ट्रेफिक में चलने में कोई बाधा नहीं आती है।परंतु अगर इन लाइन में से किसी भी एक लाइन में एक भी गाड़ी खराब हो जाती हैं तो वहां से आगे पाच लाइन की जगह चार लाइन हो जाती है तथा ट्रैफिक अवरुद्ध हो जाता है। तथा जहां गाड़ी खराब हुई है उसके पीछे ट्रैफिक जाम हो जाता है।
इसी तरह पुलो के पास पानी अवरुद्ध हो जाता है पुलो से पानी कम निकासी होने से, पुलो के पीछे पानी का लेवल काफी बढ़ जाता है।
3:---- हमें जब पता है कि हमारी नदियों के खतरे के लेवल कहा तक हैं। तो अब हमारे बड़े नेताओं को बडे फैसले लेने पडेगे। सब से पहले नदियों के कम से कम 15 किलोमीटर दूर तक का सर्वे कराना चाहिए तथा इस क्षेत्र में जितनी भी जनता रहती है उसे, उस खतरे के लेवल से उपर बसाने की आवश्यकता है।
अगर हमारे अधिकारी व नेता इन तीन बात पर ध्यान दें तो बाढ में जान माल का खतरा कम किया जा सकता है। तथा अधिकारियों व नेताओं कि कमिशन खोरी व चोरबजारी को भी रोका जा सकता है।
टेलीविजन पर यह भी बताया जा रहा है कि जो सहायता बाढ पीडितों को पहूचनी चाहिए, वह सहायता उनके पास नहीं पहुंच रही है। तथा कुछ नेता व प्रशासनिक अधिकारी कहते फिर रहे हैं कि हमने तो जो भी सहायता फंड आया है उसका सही प्रयोग किया है। तथा बाढ पीडितों को सहायता दी है।
इन सब बातों से पता चलता है कि हमारे कुछ नेता व प्रशासनिक अधिकारी केवल लूटपाट में लगे हुए हैं।
नदियों में बाढ आने के कुछ खास कारण यह भी है
1:--- हमारे अधिकारी मौसम विभाग के अधिकारियों कि सूचना पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। तथा अपने हिसाब से डैम में पानी जमा कर रहे हैं। तथा भर जाने पर डैम के गेट्स खोल देते हैं।मानसून के बीच समय में नदियों में पानी पहले से ही पुरा भर कर चल रहा होता है उपर से डैम का पानी भी नदियों में आ जाता है तो नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती है।
हमारे अधिकारीयों व नेताओं को मेरी बात ठीक लगे तो समझ लें वरना कोई बात नहीं :-----
हमें (डैम अधिकारियों को) मौसम विभाग के अधिकारियों से मानसून के आने व उसके जोर पकड़ने के समय की पूरी जानकारी होनी चाहिए। तथा उस जानकारी के अनुसार ही डेम में पानी उपर तक भरना चाहिए। पहले तो हमें मानसून से पहले डैम में पानी का लेवल काफी कम रखना होगा वो भी इस लिए ताकि बिजली ⚡ का उत्पादन होता रहे। तथा इस लेवल से उपर का पानी नदी में जाने दे। डेम में पानी का ये लेवल हमें कम से कम 15 से 20 जुलाई तक रखना चाहिए।इस से नदियों में जो पानी चल रहा होगा तथा उस में डैम का कुछ पानी आ जाने से, हमरी नदियां खतरे का निशान पार नहीं कर सकती है।
अब फिर 15 या 20 जुलाई को डैम के सारे गेट्स बंद कर देने चाहिए तथा डेम को उपर तक भरने के लिए छोड़ देंना चाहिए।
अब जब की 20 जुलाई के आसपास पुरवी उत्तर प्रदेश, बिहार, मघये परदेश व पंजाब में मानसून के जोर पकड़ने पर जो पानी नदियों में टोप लेवल से नीचे चलता रहता है वह खतरे के निशान को पार नहीं कर सकता है क्योंकि 15 जुलाई से डैम के गेट्स, डैम में पानी भरने के लिए बंद कर दिया जाएगे। तब तो डैम से कोई पानी नदियों में छोडा नहीं जायेगा।
इस से नदियों में बाढ का खतरा भी नहीं रहेगा तथा जान माल का भारी नुकसान देश को नहीं उठना पडेगा।
पर देश के कुछ कमिशन खोर व भ्रष्ट अधिकारियों व नेताओं को भारी नुकसान हो सकता है।
2:-----हमारे अधिकारीयों व नेताओं ने नदियों के उपर हजारो पुल बनवा दिया है, जो कि जनसंख्या को व ट्रैफिक को देखते हुए बनाने भी चाहिए थे।
परंतु हमारे अधिकारीयों की छोटी सोच की तरह ही, उन्होंने पूलो की लम्बाई पर ध्यान नहीं दिया या फिर नेताओं ने कम फंड दिया तो कम लम्बे पुल बना दिये। इस से नदियों में पानी पुलो के पास अवरुद्ध हो जाता है तथा पुलो के पीछे पानी का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है तथा अधिकतर खतरे के निशान को पार कर जाता है तथा यही पानी का लेवल नदियों को कहीं कहीं तो मिलो चोडा कर देते हैं तथा पानी अासपास के गांवो व शहरों के निचले हिस्सो में भर जाता है । जिस से जान माल का भारी नुकसान हो रहा है। पानी जो पुलो के पास अवरुद्ध हो जाता है उस पर कडे फैसले लेने की जरूरत है ताकि नदियों के पुलो को चोडा किया जा सके।
उधारण के लिए :----
दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में चोडी सड़कों पर जब ट्रेफिक भर कर चार या पांच लाइनों में चलता है तो ट्रेफिक में चलने में कोई बाधा नहीं आती है।परंतु अगर इन लाइन में से किसी भी एक लाइन में एक भी गाड़ी खराब हो जाती हैं तो वहां से आगे पाच लाइन की जगह चार लाइन हो जाती है तथा ट्रैफिक अवरुद्ध हो जाता है। तथा जहां गाड़ी खराब हुई है उसके पीछे ट्रैफिक जाम हो जाता है।
इसी तरह पुलो के पास पानी अवरुद्ध हो जाता है पुलो से पानी कम निकासी होने से, पुलो के पीछे पानी का लेवल काफी बढ़ जाता है।
3:---- हमें जब पता है कि हमारी नदियों के खतरे के लेवल कहा तक हैं। तो अब हमारे बड़े नेताओं को बडे फैसले लेने पडेगे। सब से पहले नदियों के कम से कम 15 किलोमीटर दूर तक का सर्वे कराना चाहिए तथा इस क्षेत्र में जितनी भी जनता रहती है उसे, उस खतरे के लेवल से उपर बसाने की आवश्यकता है।
अगर हमारे अधिकारी व नेता इन तीन बात पर ध्यान दें तो बाढ में जान माल का खतरा कम किया जा सकता है। तथा अधिकारियों व नेताओं कि कमिशन खोरी व चोरबजारी को भी रोका जा सकता है।
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