चुनाव में भौतिक सुख सुविधाओं के लालच में वोट मांगना कानूनन गलत है। चुनाव आयोग को अब उत्तर प्रदेश व देश के अन्य परदेशो में सतर्क रहने की अवशकता है।

आज के समाचारों में पढा की उत्तर प्रदेश सरकार (समाजवादी पार्टी) ने परदेश के नागरिकों को निशूलक (free)  फोन (Smart phone) देने का वादा किया है तथा कहा है कि सन् 2017 की दूसरी छमाही में फोन  का वितरण किया जाएगा। तथा नागरिको को नीचे लिखे मानकों को पूरा करना है :-

1:-वह उत्तर प्रदेश का नागरिक हो।
2:-अायू 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए।
3:- सरकारी नौकरी में नहीं हो।
4:-  सालाना आय रू 200000=00 से अधिक ना हो।
5:- फोन (Smart phone) के लिए आवेदन अगले महीने  यानी 10/2016 से  शुरू हो जायेगा।
   
समझ से परे की बात है   कि :-                                

1:-जिस परदेश में कानून व्यवस्था की हालत नाजुक बनी हुई हैं। पुलिस पर साजोसामान की कमी है वह आज के हाई टेक समय में परदेश के गुंडों पर किसी तरह की कार्रवाई में सछम नहीं है।  पुलिस की संख्या में काफी कमी है, उस पर भी अधिकतर पुलिस वाले केवल माननीयों की सेवा में लगे रहते हैं। बचे खुचे पुलिस  वालों को रात दिन (24 घंटे)  थानों में प्रयोग किया जाता है। अगर उन्हें नींद आ जाती है तो पत्रकार फिल्म  बना लेते हैं। जब की इन पुलिस वालों की कोई गलती नहीं होनी चाहिये।
परंतु उत्तर प्रदेश सरकार का कानून व्यवस्था से कोई संबंध नहीं है। अगर कोई गंभीर घटनाये (जैसे डकैती, चोरी, रहाजनी, बलात्कार,फिरौती, मार-काट,  आदि) बीच -बीच में होती हैं तो सरकार के नेता व प्रशासनिक अधिकारी इन घटनाऔ के बारे में कार्यवाही करने की बात कर के पीछा काटते नजर आते हैं। जैसे आज 06/09/2016 मे माननिय शिवपाल यादव (मंत्री)  ने कहा कि परदेश मे बढ़ रहे अपराध (अपराधो में कुछ समाजवादी कार्यकर्ता व प्रशासनिक अधिकारी तथा मंत्री का गठबंधन शामिल,तथा इस बारे में माननिय मुलायम सिंह यादव को बताया गया। पर न तो नाम व न ही कानूनी कार्यवाही का पता लगा)  व जमीन पर कब्जो की घटनाऔ तथा  अन्य अपराध को रोकने के लिये, पुलिस  को सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। पर ये भाषण तो परदेश की जनता पिछले साढ़े चार साल से सुनती आ रही हैं। तथा अपराध उसी तेजी से बढ़ रहे हैं।
सही बात तो यह है कि पुलिस के साजोसामान व पुलिस संख्या बल पर परदेश सरकार ने सही ध्यान नहीं दिया। तथा लेपटॉप वितरण, कन्या विधा धन,विधवा पेंशन आदि पर ही ज्यादा ध्यान दिया गया, केवल इस लिए अपराध को तो कुछ समय में भुला दिया जाता है क्योंकि और बड़ी घटना किसी अन्य परदेश में घटित हो जाती हैं। पर  भौतिक सुख सुविधाओं वाली बातें आगे आने वाले चुनाव में वोट बैंक बनाने में सहायता करती हैं।
2:-परदेश में हमारी आधी जनता गरीबी रेखा के नीचे गुजरा कर रही हैं, लोग भूखे पेट सो रहे हैं। हमारे किसान खेती में नुकसान के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। बाढ से परदेश में जान -माल का नुकसान हो रहा है। जिस पर माननीय शिवपाल यादव (मंत्री) नदी बांधों के टूटने पर कहते हैं कि अधिकारी कमिशन खा कर ठेकेदारों को काम देते हैं तथा फिर माल की गुणवत्ता पर भी और कमिशन लेते हैं इसलिए नदी के बंधो पर सही कार्य ठेकेदारों के द्वारा नहीं किया जाता है तथा बाढ आने पर वह टूट जाते हैं। अगर मंत्री जी को यह सब पता पहले से ही है तो कार्य वाही पहले ही क्यों नहीं कि जाती हैं इसके पीछे क्या कारण हैं वह तो हमारी समझ से परे है। %+%+%+%=?
हां, हमें यह कहना है कि अच्छा होता कि आप परदेश की जनता को गरीबी रेखा से ऊपर लेकर आते उन्हे रोजगार देते तांकी जनता भूखा नहीं रहती, तो फिर आप को किसी को भी कन्या विधा धन, लेपटॉप बांटना, विधवा पेंशन तथा अन्य खर्चों (जैसे अब फोन देने की बात करना) के करने की आवश्यकता नहीं होती।
परंतु अगर सरकार सब को गरीबी रेखा से ऊपर लेकर आती है तो उपर लिखे कार्य सरकार कैसे करेगी तथा अगले साल चुनाव में वोट बैंक कैसे बनेगा, इसलिए इस से जाहिर होता है कि समाजवादी पार्टी की सरकार को परदेश मे जनता की गरीबी व जनता की भुखमरी की आवश्यकता है। ताकि वोट बैंक बना रहे।
3:- अब समाजवादी पार्टी की सरकार  अगले साल 06/06/2017 के बाद में चुनाव जीतने पर, परदेश की जनता को भौतिक सुख सुविधाओं के रूप मे फोन (Smart phone) देने का वादा कर दिया है तथा इस के लिए नामांकन 10/2016 से करने का फैसला भी लिया है।
यह बात समझ से परे है कि सन् 2017 के शुरू में परदेश में चुनाव होने हैं तो आज की सरकार 10/2016 में जनता से फोन  के लिए नामांकन क्योंकि करा रही हैं। बात साफ है, क्यों समाजवादी पार्टी कि सरकार जनता को उनको अगले चुनावों में जिताने के लिए प्रलोभन दे रही है। क्या भौतिक सुख सुविधाओं का लालच देकर जनता को गुमराह कर के तथा अपने पछ में वोट डालने का प्रयास करना कानूनी कार्रवाई के अंदर नहीं आता है।
जब तक देश का चुनाव आयोग किसी भी पार्टी के द्वारा वोट के लिए जनता को भौतिक लालच देने पर कानूनी कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक ये नेता व पार्टिया, जनता को बेवकूफ बनाते रहंगे।
आखिर में, मैं कहना चाहता हूं कि अगर चुनाव आयोग को यह सब (भौतिक सुख सुविधा) देना कानूनन गलत लगता है। तथा  देश में सही चुनाव करवाना चाहते हैं। तो एेसी पार्टियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अति शीघ्र करने की आवश्यकता है। तथा चुनाव में वोटरों को गुमराह कर के भौतिक सुख सुविधाओं का लालच देने वाली पार्टियों को चुनाव से आलग रखना जरूरी है ।
देरी से कि गयी कानूनी कार्रवाई ही आरोपी  नेताओं व उन की पार्टियों को बचाने में कामयाब हो जाती है।  इसलिए आयोग के अधिकारियों को भी इस के लिए कानूनी कार्रवाई के दायरे में रखना चाहिए ताकि देश में सही तरीके से चुनाव कराए जा सके।

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