उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार में भौतिक सुख सुविधाओं का प्रलोभन देना चुनाव आयोग की नजरों में गलत है या सही?
पीछे के लेख तारीख 06/09/2016 में मैंने बताया कि गाजियाबाद में हज हाउस के उद्घाटन समारोह में समाजवादी पार्टी ने साल 2017 का विधान सभा चुनाव जीतने पर फोन (smart phone) देने एलान किया तथा उन के नामानकन अक्टूबर 2016 से करने का फैसला लिया है।
आज कल समाचारों के माध्यम से पढने को मिल रहा है कि कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी भी अपनी खाट सभाओं में चुनाव जीतने पर किसानों के सारे लोन को (भौतिक सुख सुविधाओं) माफ करने का वादा अपने प्रचार में कर रहे हैं।
मेरे विचार से किसी भी पार्टी का चुनाव जीतने से पहले इस तरह के भौतिक सुख सुविधाओं का प्रलोभन देना कानूनन गलत होना चाहिए।
चुनाव में किसी भी परदेश में काफी निर्दलीय उम्मीदवार व कुछ पार्टियों के नेताओं के द्वारा चुनाव लड़ने का नामांकन दाखिल किया जाता है। तथा वे चुनाव भी इस विश्वास में लडते है कि चुनाव आयोग इन चुनाव को बिना किसी भेदभाव के साथ करायेगा। पर अगर कोई सदस्य या पार्टी अपनी चुनावी रैली में भौतिक सुख सुविधाओं का प्रलोभन परदेश वासियों को देता है तथा चुनाव भी जीत जाता है तो इस तरह निसपकछ चुनाव लड़ने वाले को व उस के परिवार वालों को हारने पर गहरा दुख होता है तथा कुछ को तो बीमारी व हार्ट अटैक तक भी हो जाता है। तथा मर तक जाते हैं। क्या ये कानूनन गलत नहीं है।
चुनाव में किसी भी परदेश में काफी निर्दलीय उम्मीदवार व कुछ पार्टियों के नेताओं के द्वारा चुनाव लड़ने का नामांकन दाखिल किया जाता है। तथा वे चुनाव भी इस विश्वास में लडते है कि चुनाव आयोग इन चुनाव को बिना किसी भेदभाव के साथ करायेगा। पर अगर कोई सदस्य या पार्टी अपनी चुनावी रैली में भौतिक सुख सुविधाओं का प्रलोभन परदेश वासियों को देता है तथा चुनाव भी जीत जाता है तो इस तरह निसपकछ चुनाव लड़ने वाले को व उस के परिवार वालों को हारने पर गहरा दुख होता है तथा कुछ को तो बीमारी व हार्ट अटैक तक भी हो जाता है। तथा मर तक जाते हैं। क्या ये कानूनन गलत नहीं है।
क्या चुनाव आयोग की नजरों में ये गलत नहीं है। अगर गलत है तो गलती करने से पहले ही इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप कर के सजा सुनाई जानी चाहिए। इस प्रकार हम किसी व्यक्ति की मौत होने से पहले उसे की जान बचा सकते हैं। तथा अछे नेताओं का चुनाव किया जा सकता है।
ये, मैं आपको कानून का पालन करने का पाठ नहीं पढ़ा रहा हूँ बल्कि देश हित में अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं।
ये, मैं आपको कानून का पालन करने का पाठ नहीं पढ़ा रहा हूँ बल्कि देश हित में अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं।
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